छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ ऐतिहासिक जीत: बसवराजू सहित 34 से अधिक नक्सलियों का सफाया
परिचय
21 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर-बीजापुर सीमा पर अबुझमाड़ और इंद्रावती नेशनल पार्क के बीच घने जंगलों में भारतीय सुरक्षा बलों ने नक्सलवाद के खिलाफ एक ऐतिहासिक ऑपरेशन को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के महासचिव और एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली नेता नंबाला केशव राव, उर्फ बसवराजू, सहित 34 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया गया। यह ऑपरेशन न केवल नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार का 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने का संकल्प कितना दृढ़ है। इस लेख में हम इस ऑपरेशन के हर पहलू, इसके महत्व, बसवराजू की पृष्ठभूमि, और नक्सलवाद के भविष्य पर इसके प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।
ऑपरेशन का विवरण
यह ऑपरेशन, जिसे कुछ स्रोतों ने “ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट” के रूप में उल्लेख किया है, छत्तीसगढ़ के नारायणपुर, बीजापुर, और दंतेवाड़ा जिलों के त्रि-जंक्शन पर स्थित अबुझमाड़ के घने जंगलों में शुरू हुआ। यह क्षेत्र लंबे समय से माओवादियों का गढ़ रहा है, जहां पहुंचना और ऑपरेशन करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। ऑपरेशन की शुरुआत दो दिन पहले खुफिया जानकारी के आधार पर की गई थी, जिसमें माओवादी संगठन के केंद्रीय समिति और पोलित ब्यूरो के सदस्यों की मौजूदगी की सूचना थी।
सुरक्षा बलों, जिसमें डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG), सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF), और कोबरा यूनिट शामिल थीं, ने चार जिलों से संयुक्त रूप से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी शुरू की, जिसके जवाब में बलों ने जवाबी कार्रवाई की। इस मुठभेड़ में 34 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया गया, जिसमें बसवराजू भी शामिल थे। हालांकि, इस ऑपरेशन में एक DRG जवान भी शहीद हो गया, और कई अन्य घायल हुए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस ऑपरेशन को “नक्सलवाद के खिलाफ ऐतिहासिक सफलता” करार देते हुए इसे पिछले 30 वर्षों में पहली बार किसी महासचिव स्तर के माओवादी नेता को मार गिराने की घटना बताया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर कहा, “नक्सलवाद को खत्म करने की लड़ाई में एक ऐतिहासिक उपलब्धि। आज, नारायणपुर, छत्तीसगढ़ में हमारे सुरक्षा बलों ने 27 खूंखार माओवादियों को मार गिराया, जिसमें CPI-माओवादी के महासचिव और शीर्ष नेता नंबाला केशव राव, उर्फ बसवराजू शामिल हैं।”
बसवराजू: नक्सल आंदोलन का मास्टरमाइंड
नंबाला केशव राव, जिन्हें बसवराजू, गगन्ना, बसवराज, प्रकाश, कृष्णा, विजय, केशव, राजू, और उमेश जैसे कई उपनामों से जाना जाता था, माओवादी आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा थे। 70 वर्षीय बसवराजू आंध्र प्रदेश के जियन्नापेटा से थे और उन्होंने REC वॉरंगल से स्नातक की डिग्री हासिल की थी। वह 1970 के दशक से माओवादी आंदोलन से जुड़े थे और 1980 में CPI-ML (पीपल्स वॉर) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1992 में वह माओवादी संगठन की केंद्रीय समिति के सदस्य बने और 2018 में संगठन के महासचिव के रूप में चुने गए, जब पूर्व महासचिव मुप्पाला लक्ष्मण राव, उर्फ गणपति, ने स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ा।
बसवराजू को नक्सल आंदोलन का “इंजीनियर” कहा जाता था, क्योंकि वह विस्फोटकों का विशेषज्ञ था और कई बड़े हमलों की योजना बनाने में माहिर था। उनके नेतृत्व में हुए कुछ सबसे खतरनाक हमलों में शामिल हैं:
- 2010 चिंतलनार नरसंहार: इस हमले में छत्तीसगढ़ के चिंतलनार में 76 CRPF जवानों की हत्या की गई थी। यह भारत में नक्सलियों द्वारा किया गया सबसे घातक हमला माना जाता है।
- 2013 झीरम घाटी हमला: इस हमले में कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं को निशाना बनाया गया और उनकी हत्या की गई। यह हमला छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की क्रूरता का प्रतीक बन गया।
बसवराजू पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक करोड़ रुपये का इनाम रखा था, और वह भारत के सबसे वांछित नक्सलियों में से एक थे। उनकी गतिविधियां मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, तेलंगाना, और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों तक सीमित थीं। उनकी कोई हालिया तस्वीर उपलब्ध न होने के कारण उन्हें ट्रैक करना बेहद मुश्किल था। उनकी मृत्यु को माओवादी आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, और कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह नक्सलवाद के अंत की शुरुआत हो सकती है।
ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट और अन्य हालिया सफलताएं
हाल के महीनों में छत्तीसगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में नक्सलवाद के खिलाफ कई बड़े ऑपरेशन चलाए गए हैं। ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट, जिसके तहत कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में 31 नक्सलियों को मार गिराया गया था, भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। इस ऑपरेशन में लगभग 10,000 सुरक्षा कर्मियों ने हिस्सा लिया था, और इसमें कोई भी सुरक्षा बल का जवान हताहत नहीं हुआ था। CRPF के महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इस ऑपरेशन में 31 शव बरामद किए गए, जिनमें से 28 की पहचान की गई थी। इन नक्सलियों पर कुल 1.72 करोड़ रुपये का इनाम था।
इसके अलावा, हाल ही में 718 माओवादियों ने पिछले चार महीनों में आत्मसमर्पण किया है, और 38 नक्सलियों ने तेलंगाना में एक साथ आत्मसमर्पण किया। ये आत्मसमर्पण और ऑपरेशन नक्सलियों पर बढ़ते दबाव का परिणाम हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के पूरा होने के साथ, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, और महाराष्ट्र में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 84 ने आत्मसमर्पण किया।
नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की रणनीति
भारत सरकार ने 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने एक बहुआयामी रणनीति अपनाई है, जिसमें सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ विकास और समावेशी नीतियां शामिल हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, “नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई केवल हथियारों और साहस से नहीं लड़ी जाएगी, बल्कि शिक्षा, रोजगार, और समावेशी विकास के माध्यम से भी इस समस्या का समाधान किया जाएगा।”
सैन्य रणनीति
सुरक्षा बलों ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है। अबुझमाड़ जैसे दुर्गम क्षेत्रों में ड्रोन और अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खुफिया जानकारी एकत्र की जा रही है। इसके अलावा, कोबरा और CRPF जैसी विशेष इकाइयों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे नक्सलियों के गुरिल्ला युद्ध की रणनीति का मुकाबला कर सकें।
विकासात्मक पहल
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता है। उदाहरण के लिए, मोहला-मनपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के 17 दूरस्थ गांवों में पहली बार बिजली की आपूर्ति शुरू की गई है। इन गांवों में 540 परिवारों में से 275 को बिजली कनेक्शन मिल चुका है, और बाकी के लिए काम चल रहा है। इसके अलावा, सुकमा जिले की प्रथम नक्सल मुक्त पंचायत ‘बड़े सेट्टी’ के लिए 1.10 करोड़ रुपये के विकास कार्यों को मंजूरी दी गई है।
शांति वार्ता
नक्सलियों ने हाल ही में शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा था, लेकिन छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट किया कि पहले नक्सलियों को हथियार डालने होंगे। उन्होंने कहा, “पहले हथियार डालें, फिर बात होगी।” यह रुख दर्शाता है कि सरकार नक्सलवाद को खत्म करने के लिए कोई समझौता नहीं करेगी।
नक्सलवाद का घटता प्रभाव
पिछले एक दशक में नक्सलवाद का प्रभाव काफी हद तक कम हुआ है। 2014 में जहां 126 जिले नक्सल प्रभावित थे, वहीं 2024 में यह संख्या घटकर 18 रह गई है। हिंसक घटनाएं भी 2014 में 1,080 से घटकर 2024 में 374 हो गई हैं। सुरक्षा बलों के जवानों की शहादत भी 287 से घटकर 19 हो गई है। 2014 से अब तक 2,089 माओवादी मारे गए हैं, जो सरकार की रणनीति की सफलता को दर्शाता है।
चुनौतियां और भविष्य
हालांकि यह ऑपरेशन नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी जीत है, लेकिन चुनौतियां अभी भी बाकी हैं। अबुझमाड़ जैसे क्षेत्रों में नक्सलियों का प्रभाव अब भी बना हुआ है, और उनकी गुरिल्ला रणनीति और विस्फोटकों का उपयोग सुरक्षा बलों के लिए खतरा बना हुआ है। इसके अलावा, हाल ही में झारखंड में एक CRPF जवान की बिजली गिरने से मृत्यु और छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर IED हमले में तीन जवानों की शहादत ने इस लड़ाई की जटिलता को उजागर किया है।
भविष्य में, सरकार को न केवल सैन्य कार्रवाई पर ध्यान देना होगा, बल्कि स्थानीय समुदायों का विश्वास जीतना होगा। शिक्षा, रोजगार, और बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को मुख्यधारा में लाना आवश्यक है। बसवराजू जैसे शीर्ष नेताओं के खात्मे से माओवादी संगठन का मनोबल टूट सकता है, लेकिन नए नेतृत्व के उभरने की संभावना को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ के अबुझमाड़ में 21 मई 2025 को हुआ यह ऑपरेशन नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक निर्णायक क्षण है। बसवराजू जैसे शीर्ष माओवादी नेता का खात्मा और 34 से अधिक नक्सलियों का मारा जाना न केवल सुरक्षा बलों की वीरता को दर्शाता है, बल्कि सरकार के दृढ़ संकल्प को भी रेखांकित करता है। यह ऑपरेशन नक्सलवाद के अंत की शुरुआत हो सकता है, बशर्ते सरकार अपनी सैन्य और विकासात्मक रणनीतियों को और मजबूत करे।
हमारी सुरक्षा बलों की बहादुरी और बलिदान को सलाम करते हुए, यह जरूरी है कि हम स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाएं और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास को बढ़ावा दें। इस ऐतिहासिक जीत ने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक नया अध्याय शुरू किया है, और यह उम्मीद की जाती है कि 31 मार्च 2026 तक भारत नक्सल मुक्त हो जाएगा।
लेखक के बारे में: यह लेख kishanbaraiya.com के लिए विशेष रूप से लिखा गया है, जो समसामयिक मुद्दों पर गहन विश्लेषण और जानकारी प्रदान करने के लिए समर्पित है।