ज्योति मल्होत्रा जासूसी मामला: एक यूट्यूबर की कहानी और भारत-पाकिस्तान संबंधों का संदर्भ
परिचय
हाल ही में, हरियाणा की एक यूट्यूबर, ज्योति मल्होत्रा, को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। यह मामला न केवल भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है, बल्कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों को भी उजागर करता है। ज्योति मल्होत्रा, जो अपने यूट्यूब चैनल ‘ट्रैवल विद जो’ के लिए जानी जाती हैं, ने कथित तौर पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत में लागू किए गए ब्लैकआउट की जानकारी पाकिस्तान को लीक की। इस लेख में, हम इस मामले के विभिन्न पहलुओं, इसके निहितार्थों, और भारत-पाकिस्तान संबंधों के व्यापक संदर्भ पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
ज्योति मल्होत्रा: एक परिचय
ज्योति मल्होत्रा, 33 वर्षीय हरियाणा की निवासी, एक लोकप्रिय ट्रैवल व्लॉगर हैं, जिनका यूट्यूब चैनल ‘ट्रैवल विद जो’ 3.77 लाख से अधिक सब्सक्राइबर्स के साथ काफी लोकप्रिय है। उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी 1.33 लाख फॉलोअर्स हैं। ज्योति ने अपने व्लॉग्स में भारत और विदेशों के विभिन्न स्थानों की यात्रा को दर्शाया, जिसमें उनकी पाकिस्तान और चीन की यात्राएं भी शामिल हैं। उनके वीडियो में यात्रा के बजट विकल्प, जैसे कि केरल में मेट्रो और वाटर मेट्रो की सवारी, और उज्जैन-इंदौर की यात्रा, शामिल हैं। उनकी सामग्री ने उन्हें एक बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंचाया, लेकिन उनकी हाल की गिरफ्तारी ने उनके प्रशंसकों और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया।
जासूसी के आरोप और गिरफ्तारी
ज्योति मल्होत्रा को 16 मई, 2025 को हरियाणा के हिसार में न्यू अग्रसैन एक्सटेंशन क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया। उन पर ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 की धारा 3 और 5, और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 के तहत मामला दर्ज किया गया। जांच एजेंसियों, जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) शामिल हैं, ने ज्योति पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करने का आरोप लगाया। विशेष रूप से, उन पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत में लागू ब्लैकआउट की जानकारी लीक करने का आरोप है, जो एक संवेदनशील सैन्य अभियान था।
जांच के दौरान, ज्योति ने कथित तौर पर स्वीकार किया कि वह नवंबर 2023 से मार्च 2025 तक नई दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन के एक कर्मचारी, एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश, के संपर्क में थीं। हिसार पुलिस के प्रवक्ता, विकास कुमार, ने पुष्टि की कि ज्योति ने दानिश के साथ अपनी सीधी बातचीत को स्वीकार किया। इसके अलावा, उनकी डायरी और डिजिटल उपकरणों की जांच से पता चला कि वह तीन अन्य पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के संपर्क में थीं, जिनमें अली हसन, शाकिर, और राणा शाहबाज शामिल हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ब्लैकआउट की जानकारी
‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक महत्वपूर्ण सैन्य अभियान था, जिसके दौरान भारत ने सीमा क्षेत्रों में संचार और इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया था। ज्योति मल्होत्रा ने कथित तौर पर इस ब्लैकआउट की जानकारी, जिसमें सैन्य बलों की तैनाती और सीमा के पास गांवों में उनकी उपस्थिति की तीव्रता शामिल थी, पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों को दी। यह जानकारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत संवेदनशील थी, क्योंकि यह भारत की सैन्य रणनीति को कमजोर कर सकती थी। न्यूज18 के अनुसार, ज्योति ने व्हाट्सएप के माध्यम से कोडेड संदेशों का उपयोग करके अपने हैंडलर, अली हसन, के साथ नियमित संपर्क बनाए रखा। एक संदेश में, उन्होंने कथित तौर पर कहा, “मुझे पाकिस्तान में शादी करवाओ,” जो उनकी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं और पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ घनिष्ठ संबंधों को दर्शाता है।
जांचकर्ताओं ने यह भी पाया कि ज्योति ने 2023 से 2025 तक दानिश के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखा, हालांकि मार्च 2025 के बाद उनके बीच कोई चैट डिटेल नहीं मिली। इसके बावजूद, यह स्पष्ट है कि वह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सक्रिय रूप से जानकारी साझा कर रही थीं। उनके तीन मोबाइल फोन और एक लैपटॉप को फोरेंसिक जांच के लिए जब्त किया गया है, और उनके दो बैंक खातों की वित्तीय लेनदेन की भी जांच की जा रही है ताकि विदेशी फंडिंग के किसी भी संभावित स्रोत का पता लगाया जा सके।
ज्योति की पाकिस्तान यात्राएं और डायरी
ज्योति मल्होत्रा ने 2023 में दो बार पाकिस्तान की यात्रा की, जिसके दौरान वह दानिश और अन्य खुफिया अधिकारियों के संपर्क में आईं। उनकी एक यात्रा से पहले, वह नई दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन में वीजा के लिए गई थीं, जहां उनकी मुलाकात दानिश से हुई थी। दानिश ने उन्हें अली हसन से मिलवाया, जिसने बाद में उन्हें शाकिर और राणा शाहबाज से जोड़ा। ज्योति ने अपनी डायरी में अपनी 10-दिवसीय पाकिस्तान यात्रा का वर्णन किया, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान की संस्कृति को “रंगीन” और “आकर्षक” बताया। उन्होंने यह भी लिखा कि पाकिस्तान सरकार को भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए गुरुद्वारों और मंदिरों तक पहुंच को आसान करना चाहिए, और 1947 के बंटवारे के कारण अलग हुए परिवारों को मिलने की अनुमति देनी चाहिए।
इन डायरी प्रविष्टियों ने जांचकर्ताओं को ज्योति की मानसिकता और उनके पाकिस्तानी संपर्कों के साथ संबंधों को समझने में मदद की। हालांकि, कुछ लोग इसे उनकी भोली-भाली सोच के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों द्वारा उनके दिमाग को प्रभावित करने का परिणाम मानते हैं। हिसार पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी, शशांक कुमार सावन, ने कहा कि ज्योति को एक “एसेट” के रूप में विकसित किया जा रहा था, और वह अन्य यूट्यूब इन्फ्लुएंसर्स के साथ भी संपर्क में थीं, जो संभवतः पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के साथ जुड़े हुए थे।
ज्योति का दृष्टिकोण और बयान
जांच के दौरान, ज्योति ने कथित तौर पर कोई पछतावा नहीं दिखाया। एक वरिष्ठ जांच अधिकारी के अनुसार, ज्योति ने कहा, “मुझे कोई पछतावा नहीं है। मुझे लगता है कि मैंने जो किया, वह सही था।” यह बयान उनके दृढ़ विश्वास को दर्शाता है, जो शायद उनकी व्यक्तिगत मान्यताओं या पाकिस्तानी एजेंटों द्वारा उनके साथ किए गए मनोवैज्ञानिक हेरफेर का परिणाम हो सकता है। कुछ स्रोतों का दावा है कि ज्योति को “हनी-ट्रैप” किया गया था, जैसा कि 2010 में भारतीय राजनयिक मधुरी गुप्ता के मामले में हुआ था, जिन्हें भी पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों ने फंसाया था।
मधुरी गुप्ता के मामले से समानताएं
ज्योति मल्होत्रा का मामला 2010 में भारतीय राजनयिक मधुरी गुप्ता की गिरफ्तारी की याद दिलाता है। मधुरी, जो इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में सेकंड सेक्रेटरी (प्रेस और सूचना) के रूप में तैनात थीं, पर पाकिस्तानी आईएसआई को संवेदनशील जानकारी लीक करने का आरोप लगा था। मधुरी ने कथित तौर पर भारतीय खुफिया अधिकारियों की पहचान और लॉगिन क्रेडेंशियल्स साझा किए थे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हुआ था। 2018 में, उन्हें ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट की धारा 3 और 5 के तहत दोषी ठहराया गया था।
ज्योति और मधुरी के मामलों में कई समानताएं हैं। दोनों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों द्वारा “हनी-ट्रैप” करने का दावा किया गया है, और दोनों ने संवेदनशील जानकारी साझा की जो भारत की सुरक्षा के लिए हानिकारक थी। हालांकि, ज्योति का मामला डिजिटल युग में जासूसी की नई चुनौतियों को उजागर करता है, जहां सोशल मीडिया और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग जानकारी इकट्ठा करने और साझा करने के लिए किया जा सकता है।
भारत-पाकिस्तान संबंधों का संदर्भ
ज्योति मल्होत्रा का मामला भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों का एक और उदाहरण है। दोनों देशों के बीच 1947 के बंटवारे के बाद से ही सीमा विवाद, आतंकवाद, और खुफिया युद्ध जैसे मुद्दों पर तनाव रहा है। हाल के वर्षों में, दोनों देशों के बीच वीजा प्राप्त करना मुश्किल रहा है, और आपसी अविश्वास ने नागरिकों के लिए एक-दूसरे के देशों की यात्रा को जटिल बना दिया है।
पाकिस्तान की आईएसआई ने लंबे समय से भारत में जासूसी नेटवर्क स्थापित करने की कोशिश की है। ज्योति मल्होत्रा के मामले में, यह स्पष्ट है कि वह एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा थीं, जिसमें पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश में 11 अन्य व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। यह नेटवर्क कथित तौर पर पाकिस्तान समर्थित था और उत्तरी भारत में सक्रिय था।
डिजिटल युग में जासूसी की चुनौतियां
ज्योति मल्होत्रा का मामला डिजिटल युग में जासूसी की नई चुनौतियों को रेखांकित करता है। सोशल मीडिया और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म न केवल सूचना प्रसार के लिए शक्तिशाली उपकरण हैं, बल्कि इन्हें खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और साझा करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ज्योति के मामले में, उनके यूट्यूब चैनल और इंस्टाग्राम अकाउंट ने उन्हें एक बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंच प्रदान की, जिसका उपयोग संभवतः पाकिस्तानी एजेंटों द्वारा उन्हें प्रभावित करने के लिए किया गया।
हिसार पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि ज्योति अन्य यूट्यूब इन्फ्लुएंसर्स के संपर्क में थीं, जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के साथ जुड़े हो सकते हैं। यह दर्शाता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्मों का उपयोग करके जासूसी नेटवर्क को व्यापक स्तर पर संचालित किया जा सकता है। इसके अलावा, ज्योति ने स्नैपचैट और टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग किया, जो जांच को और जटिल बनाता है।
जांच की प्रगति और भविष्य
ज्योति मल्होत्रा की पांच दिन की पुलिस हिरासत 21 मई, 2025 को समाप्त हो रही है, और उन्हें हिसार कोर्ट में पेश किया जाएगा। जांच अभी भी जारी है, और एनआईए, आईबी, और सैन्य खुफिया एजेंसियां उनके डिजिटल और वित्तीय रिकॉर्ड की गहन जांच कर रही हैं। उनके बैंक खातों में कई लेनदेन की जांच की जा रही है, और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या उन्हें विदेशी फंडिंग प्राप्त हुई थी।
हरियाणा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह एक “विकसित हो रही स्थिति” है, और जांच के दौरान और भी कई तथ्य सामने आ सकते हैं। अन्य यूट्यूब चैनलों और इन्फ्लुएंसर्स की भी जांच की जा रही है, जो इस नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं।
निष्कर्ष
ज्योति मल्होत्रा का मामला भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यह न केवल डिजिटल युग में जासूसी की नई चुनौतियों को उजागर करता है, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों को भी दर्शाता है। ज्योति की कहानी एक ऐसी युवती की है, जो अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से प्रसिद्धि और प्रभाव हासिल करना चाहती थी, लेकिन संभवतः गलत संगत और हेरफेर का शिकार हो गई। उनकी गिरफ्तारी और जांच से यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्मों की निगरानी और साइबर खुफिया जानकारी की आवश्यकता बढ़ गई है।
यह मामला हमें यह भी याद दिलाता है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं और राष्ट्रीय हितों के बीच संतुलन बनाना कितना महत्वपूर्ण है। ज्योति मल्होत्रा की कहानी एक चेतावनी है कि सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्मों का उपयोग सावधानीपूर्वक और जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए। आने वाले दिनों में, इस जांच से और भी कई खुलासे होने की संभावना है, जो भारत की सुरक्षा नीतियों और खुफिया तंत्र को और मजबूत करने में मदद कर सकते हैं।