परिचय
7 मई 2025 को भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक एक साहसिक सैन्य अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में आतंकवादी ढांचे को नष्ट करना था। यह अभियान 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई थी। इस ऑपरेशन के बाद, भारत सरकार ने 7, 8 और 10 मई को प्रेस ब्रीफिंग आयोजित की, जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। इन ब्रीफिंग्स ने न केवल ऑपरेशन की तकनीकी और रणनीतिक सफलता को उजागर किया, बल्कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया। यह लेख ऑपरेशन सिंदूर, इसके प्रेस ब्रीफिंग्स और इसके राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रभावों पर विस्तृत चर्चा करता है।
पहलगाम आतंकी हमला: पृष्ठभूमि
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भयावह आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे। इस हमले ने न केवल जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को निशाना बनाया, बल्कि क्षेत्र में सामान्य स्थिति की बहाली को भी चुनौती दी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि यह हमला जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से पर्यटन को कमजोर करने के उद्देश्य से किया गया था, जो पिछले वर्ष 2.3 करोड़ पर्यटकों के साथ एक रिकॉर्ड स्थापित कर चुका था।
हमले की जिम्मेदारी ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) नामक संगठन ने ली, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा का एक मोर्चा है। भारत ने पहले ही मई और नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र की 1267 सैंक्शन्स कमेटी को टीआरएफ की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी थी, जिसमें इसकी पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों से संबंधों का खुलासा किया गया था। इस हमले ने भारत को आतंकवाद के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया, जिसके परिणामस्वरूप ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत हुई।
ऑपरेशन सिंदूर: उद्देश्य और कार्यान्वयन
ऑपरेशन सिंदूर का प्राथमिक उद्देश्य उन आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था, जहां से भारत के खिलाफ हमलों की योजना बनाई और निष्पादित की जा रही थी। 7 मई 2025 को तड़के 1:05 बजे से 1:30 बजे के बीच, भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पीओजेके में नौ आतंकी ठिकानों पर 24 सटीक हमले किए। इन ठिकानों में जयश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के प्रशिक्षण शिविर शामिल थे, जो मुरिदके, बहावलपुर, कोटली और मुजफ्फराबाद जैसे स्थानों पर स्थित थे।
इस अभियान में भारतीय वायु सेना, मिसाइल इकाइयों और विशेष बलों ने समन्वित रूप से काम किया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, हमलों को “केंद्रित, मापा हुआ और गैर-वृद्धिकारी” रखा गया, ताकि पाकिस्तानी सैन्य या नागरिक सुविधाओं को नुकसान न पहुंचे। कर्नल सोफिया कुरैशी ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि हमलों के लिए विश्वसनीय खुफिया जानकारी का उपयोग किया गया, जो आतंकी शिविरों में हथियारों और प्रशिक्षण गतिविधियों की मौजूदगी की पुष्टि करती थी।
ऑपरेशन के दौरान ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और आकाश मिसाइल जैसे उन्नत हथियार प्रणालियों का उपयोग किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन को भारत के “जवाब देने के अधिकार” का एक उदाहरण बताया, जो पहलगाम हमले के जवाब में था। इस अभियान में कम से कम 100 आतंकवादी मारे गए, जिनमें कई कट्टर आतंकी शामिल थे, और आतंकी ढांचे को व्यापक नुकसान पहुंचा।
प्रेस ब्रीफिंग: मुख्य बिंदु
7 मई 2025 को नई दिल्ली के नेशनल मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन के विवरण साझा किए। मिस्री ने जोर देकर कहा कि भारत का जवाब “मापा हुआ, गैर-वृद्धिकारी, आनुपातिक और जिम्मेदार” था, और इसका उद्देश्य केवल आतंकी ढांचे को नष्ट करना था। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 25 अप्रैल 2025 के बयान का हवाला दिया, जिसमें पहलगाम हमले के दोषियों को जवाबदेह ठहराने की आवश्यकता पर बल दिया गया था।
कर्नल कुरैशी ने हमले के फुटेज और नक्शों के साथ एक विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसमें नौ लक्षित स्थानों को चिह्नित किया गया था। उन्होंने बताया कि ये स्थान आतंकी गतिविधियों के लिए उपयोग किए जा रहे थे, जिनमें अजमल कसाब और डेविड हेडली जैसे आतंकवादियों को प्रशिक्षण देने वाले शिविर शामिल थे। विंग कमांडर सिंह ने भारतीय वायु सेना की सटीकता और संयम की प्रशंसा की, यह उल्लेख करते हुए कि पाकिस्तान ने अपने नागरिक हवाई क्षेत्र को बंद नहीं किया, जिसे भारत ने जवाबी कार्रवाई में ध्यान में रखा।
8 मई की ब्रीफिंग में, कर्नल कुरैशी ने पाकिस्तान की ओर से फैलाए जा रहे दुष्प्रचार का खंडन किया, जैसे कि चंडीगढ़ और ब्यास में भारतीय हथियार डिपो को नुकसान पहुंचने के दावे। 10 मई को, रक्षा मंत्रालय ने एक और ब्रीफिंग आयोजित की, जिसमें कमोडोर रघु आर. नायर ने युद्धविराम समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। इन ब्रीफिंग्स ने भारत की पारदर्शिता और जिम्मेदार रुख को प्रदर्शित किया।
राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
ऑपरेशन सिंदूर को भारत में व्यापक समर्थन मिला। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे “पहलगाम में मासूम लोगों की नृशंस हत्याओं का जवाब” करार दिया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “हम आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में एक साथ हैं। हमारे rहमारे बीच कोई मतभेद नहीं होना चाहिए।”
वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सरकार और सशस्त्र बलों के साथ एकजुटता व्यक्त की, लेकिन साथ ही सलाह दी कि सभी पक्षों को अनियंत्रित वृद्धि से बचने के लिए समझदारी से काम लेना चाहिए। झारखंड बीजेपी और सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने भी अभियान की सफलता की सराहना की। सामान्य जनता ने भी सोशल मीडिया पर “जय हिंद” और “भारत माता की जय” जैसे नारों के साथ अपनी देशभक्ति व्यक्त की।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ऑपरेशन सिंदूर पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ दीं। अमेरिका, रूस, यूके, यूएई और सऊदी अरब को भारत ने ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी, जिसमें पहलगाम हमले से जुड़े सबूत साझा किए गए। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत की, जिसमें भारत ने किसी भी पाकिस्तानी उकसावे के खिलाफ “कठोर, गहरी और बड़ी” प्रतिक्रिया देने की बात कही।
चीन ने भारत और पाकिस्तान से “शांति और स्थिरता के व्यापक हित में” अधिकतम संयम बरतने का आह्वान किया। यूके ने दोनों देशों से संयम और संवाद का आग्रह किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहले ही पहलगाम हमले की निंदा की थी, जिसे भारत ने अपनी कार्रवाई के औचित्य के रूप में उद्धृत किया। इन प्रतिक्रियाओं ने भारत के कूटनीतिक प्रयासों को रेखांकित किया, जिसने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से सहयोगियों को शामिल किया।
रणनीतिक प्रभाव और युद्धविराम
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत-पाकिस्तान संबंधों पर गहरा प्रभाव डाला। पाकिस्तान की ओर से 7 से 10 मई के बीच जवाबी गोलीबारी में 35-40 कर्मियों की हानि हुई, जबकि भारत ने पांच सैनिकों को खोया। दोनों देशों ने अंततः युद्धविराम समझौते पर सहमति जताई, जिसे भारत ने “लाइन ऑफ कंट्रोल पर गोलीबारी में ठहराव” के रूप में वर्णित किया।
इस अभियान ने भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को और मजबूत किया। डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा, “हमारी लड़ाई आतंकी ढांचे और आतंकवादियों के खिलाफ थी, लेकिन पाकिस्तान की सेना ने इन तत्वों की रक्षा करना चुना।” ऑपरेशन ने भारत की सैन्य ताकत और खुफिया क्षमताओं को प्रदर्शित किया, साथ ही यह भी दिखाया कि भारत क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए संयम बरत सकता है।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर भारत के आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प का प्रतीक बन गया है। प्रेस ब्रीफिंग्स ने न केवल अभियान की सफलता को उजागर किया, बल्कि भारत की पारदर्शी और जिम्मेदार छवि को भी मजबूत किया। राष्ट्रीय एकता और अंतरराष्ट्रीय समर्थन ने इस कार्रवाई को और अधिक प्रभावी बनाया। जैसा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “भारत ने अपने जवाब देने के अधिकार का प्रयोग किया।” यह अभियान न केवल पहलगाम के शहीदों को श्रद्धांजलि है, बल्कि भविष्य में आतंकवाद के खिलाफ भारत की सतर्कता का संदेश भी है।