भारत में पशुओं में 37 एंटीबायोटिक्स पर प्रतिबंध की योजना: रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) से निपटने की दिशा में एक कदम

भारत में पशुओं में 37 एंटीबायोटिक्स पर प्रतिबंध की योजना: रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) से निपटने की दिशा में एक कदम

 

भारत में पशुओं में 37 एंटीबायोटिक्स पर प्रतिबंध की योजना: रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) से निपटने की दिशा में एक कदम

भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance – AMR) की बढ़ती समस्या से निपटना है। इस योजना के तहत, पशुधन, मुर्गी पालन, और जलीय कृषि में उपयोग होने वाले 37 एंटीबायोटिक्स पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी है। यह कदम न केवल मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की वैश्विक खाद्य निर्यात बाजार में स्थिति को मजबूत करने के लिए भी आवश्यक है। इस लेख में, हम इस प्रतिबंध के महत्व, इसके कारणों, प्रभावों, और भविष्य में इसके कार्यान्वयन की चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) क्या है?

रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक ऐसी स्थिति है जिसमें बैक्टीरिया, वायरस, कवक, या परजीवी उन दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधी हो जाते हैं, जो उन्हें नष्ट करने के लिए बनाई गई हैं। विशेष रूप से, एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग और अत्यधिक उपयोग के कारण बैक्टीरिया में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप सामान्य बीमारियों का इलाज करना कठिन हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने AMR को वैश्विक स्वास्थ्य के लिए शीर्ष 10 खतरों में से एक माना है। भारत में, जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, AMR की समस्या विशेष रूप से गंभीर है।

2019 में, द लैंसेट पत्रिका के अनुसार, AMR के कारण विश्व स्तर पर 12.7 लाख लोगों की मृत्यु हुई। भारत में, अनुमानित 6 लाख लोग प्रतिवर्ष दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों के कारण अपनी जान गंवाते हैं। नवजात शिशुओं और वृद्ध लोगों में AMR के कारण होने वाली मृत्यु दर विशेष रूप से उच्च है।

[](https://www.livemint.com/politics/policy/antibiotic-antimicrobial-resistance-public-health-threats-drug-regulators-cdsco-medicine-fortis-11739776503450.html)

पशुओं में एंटीबायोटिक्स का उपयोग और AMR

पशुधन और मुर्गी पालन में एंटीबायोटिक्स का उपयोग दो मुख्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है: पहला, बीमारियों के इलाज के लिए (चिकित्सीय उपयोग), और दूसरा, पशुओं के विकास को बढ़ावा देने के लिए (गैर-चिकित्सीय उपयोग)। बाद वाला उपयोग, जिसे अक्सर “ग्रोथ प्रोमोटर” के रूप में जाना जाता है, विशेष रूप से चिंताजनक है। जब पशुओं को नियमित रूप से कम खुराक में एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं, तो यह बैक्टीरिया में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने का अवसर प्रदान करता है। ये प्रतिरोधी बैक्टीरिया भोजन, पानी, या पर्यावरण के माध्यम से मनुष्यों तक पहुंच सकते हैं, जिससे मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा होता है।

भारत में, पोल्ट्री और जलीय कृषि उद्योग में एंटीबायोटिक्स का व्यापक उपयोग देखा गया है। उदाहरण के लिए, 2014 में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक रिपोर्ट में पाया गया कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 70 चिकन नमूनों में से 40% में एंटीबायोटिक अवशेष मौजूद थे। इसके अलावा, कोलिस्टिन जैसे “अंतिम उपाय” (last-resort) एंटीबायोटिक्स का उपयोग, जो गंभीर मानव संक्रमणों के इलाज के लिए आरक्षित है, पशुओं में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि कोलिस्टिन का दुरुपयोग इसे मानव चिकित्सा में अप्रभावी बना सकता है।

[](https://www.livemint.com/Politics/F3bMn0b83KoMyS2iisyI2I/As-data-regulation-fall-short-no-checks-on-antibiotics-in.html)[](https://www.livemint.com/Industry/yt5eE5hqMLYP1px2d63Q1K/Govt-may-ban-antibiotic-colistin-used-to-fatten-chicken.html?facet=amp)

37 एंटीबायोटिक्स पर प्रतिबंध की योजना

खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने अक्टूबर 2024 में मांस, मांस उत्पादों, दूध, दूध उत्पादों, मुर्गी, अंडे, और जलीय कृषि में उपयोग होने वाले कुछ एंटीबायोटिक्स पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया। इस कदम को अब और विस्तार देते हुए, सरकार 37 विशिष्ट एंटीबायोटिक्स पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है। ये एंटीबायोटिक्स मुख्य रूप से वे हैं जो मानव चिकित्सा में महत्वपूर्ण हैं और जिनका पशुओं में गैर-चिकित्सीय उपयोग AMR को बढ़ावा देता है।

[](https://www.prokerala.com/news/articles/a1584052.html)

यह निर्णय भारत की उस प्रतिबद्धता का हिस्सा है, जो नवंबर 2022 में मस्कट मिनिस्ट्रियल मैनिफेस्टो में की गई थी। इस घोषणापत्र में भारत ने 2030 तक कृषि-खाद्य प्रणालियों में एंटीमाइक्रोबियल्स के उपयोग को 30-50% तक कम करने और मानव चिकित्सा के लिए महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक्स का पशुओं में वृद्धि प्रोत्साहन के लिए उपयोग समाप्त करने का वादा किया था।

[](https://indianexpress.com/article/opinion/columns/india-banning-specific-antibiotics-production-meat-poultry-milk-products-9970236/)

प्रतिबंधित होने वाले प्रमुख एंटीबायोटिक्स

हालांकि 37 एंटीबायोटिक्स की पूरी सूची सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, लेकिन कुछ प्रमुख दवाएं, जैसे कोलिस्टिन, पहले से ही चर्चा में हैं। कोलिस्टिन को 2018 में पशुओं में उपयोग के लिए प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव रखा गया था, और अब इसे पूरी तरह से लागू करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा, नाइट्रोफ्यूरान्स (जैसे फुराल्टाडोन, फुराज़ोलिडोन, नाइट्रोफुरैंटोइन, नाइट्रोफुराज़ोन) और क्लोरैम्फेनिकॉल जैसी दवाएं भी 2018 में मांस और जलीय उत्पादों में प्रतिबंधित की गई थीं।

[](https://www.livemint.com/economy/illegal-antibiotics-in-seafood-meat-ring-alarm-bells-11687894933866.html)

प्रतिबंध का महत्व

यह प्रतिबंध कई कारणों से महत्वपूर्ण है:

    1. मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा: पशुओं में एंटीबायोटिक्स का दुरुपयोग मानव में दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के प्रसार को बढ़ाता है। यह प्रतिबंध इन बैक्टीरिया के प्रसार को कम करने में मदद करेगा।
    2. खाद्य सुरक्षा: भारत दूध, अंडे, मछली, और मुर्गी मांस का एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक है। एंटीबायोटिक अवशेषों से मुक्त उत्पाद वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाएंगे।

[](https://www.prokerala.com/news/articles/a1584052.html)

    1. पर्यावरण संरक्षण: पशु अपशिष्ट के माध्यम से एंटीबायोटिक्स पर्यावरण में प्रवेश करते हैं, जिससे मिट्टी और जल निकायों में प्रतिरोधी बैक्टीरिया का प्रसार होता है। यह प्रतिबंध इस पर्यावरणीय जोखिम को कम करेगा।

[](https://www.livemint.com/Politics/g59sYaHwZY7Th1apBeHmWN/Poultry-waste-spreading-drugresistant-bacteria-Study.html)

    1. वैश्विक प्रतिबद्धताओं का पालन: यह कदम भारत को WHO और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद करेगा।

[](https://www.livemint.com/news/india/union-health-ministry-working-on-national-plan-to-combat-anti-microbial-resistance-amr-as-public-health-threat-11689783124440.html)

चुनौतियां और कार्यान्वयन

हालांकि यह प्रतिबंध एक सकारात्मक कदम है, इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियां हैं:

    • निगरानी और प्रवर्तन: भारत में पशुपालन और जलीय कृषि क्षेत्र में एंटीबायोटिक्स के उपयोग की निगरानी के लिए व्यापक डेटा की कमी है। राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है।

[](https://www.livemint.com/Politics/5DDqjHF4OCzTUNvOlLFqSN/Regulate-antibiotic-use-in-poultry-livestock-NCDC.html)

    • जागरूकता की कमी: कई किसान और पशुपालक एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग के खतरों से अनजान हैं। शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
    • आर्थिक प्रभाव: एंटीबायोटिक्स का उपयोग पशुधन उत्पादन की लागत को कम करता है। प्रतिबंध के बाद, वैकल्पिक तरीकों (जैसे बेहतर स्वच्छता और टीकाकरण) को अपनाने की लागत बढ़ सकती है।

[](https://indianexpress.com/article/opinion/columns/india-banning-specific-antibiotics-production-meat-poultry-milk-products-9970236/)

    • नियमों का पालन: FSSAI को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रतिबंध का सख्ती से पालन हो। इसके लिए स्थानीय स्तर पर जागरूकता और प्रवर्तन तंत्र की आवश्यकता होगी।

[](https://food.ndtv.com/news/report-indias-ban-on-antibiotics-in-animal-food-products-critical-for-amr-control-7107892)

वैश्विक परिदृश्य

भारत अकेला नहीं है जो AMR से निपटने के लिए कदम उठा रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने पहले ही पशुओं में एंटीबायोटिक्स के गैर-चिकチसीय उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। उदाहरण के लिए, अमेरिका 2013 में पशुधन में एंटीबायोटिक्स के उपयोग को सीमित करने वाली नीति लाया था। इसी तरह, चीन और मलेशिया जैसे देशों ने कोलिस्टिन को पशु चारा में उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाया है। भारत का यह कदम वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित है और देश को AMR के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अग्रणी बनाता है।

[](https://www.livemint.com/Politics/F3bMn0b83KoMyS2iisyI2I/As-data-regulation-fall-short-no-checks-on-antibiotics-in.html)[](https://www.businessinsider.in/india-may-ban-its-poultry-and-meat-industry-from-using-a-growth-promoting-drug-linked-to-antibiotic-resistance/articleshow/66941051.cms)

भविष्य की दिशा

AMR के खिलाफ लड़ाई में यह प्रतिबंध केवल एक शुरुआत है। इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:

  • निगरानी प्रणाली: राष्ट्रीय स्तर पर पशुओं में एंटीबायोटिक उपयोग और AMR की निगरानी के लिए एक मजबूत प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।
  • जागरूकता अभियान: किसानों, पशुपालकों, और उपभोक्ताओं के बीच AMR के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए जाने चाहिए।
  • वैकल्पिक उपाय: टीकाकरण, बेहतर स्वच्छता, और जैव-सुरक्षा उपायों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता कम हो।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत को वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों और अन्य देशों के साथ मिलकर AMR के खिलाफ रणनीतियों को साझा करना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत का 37 एंटीबायोटिक्स पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय AMR के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल मानव स्वास्थ्य की रक्षा करेगा, बल्कि भारत के खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ाएगा। हालांकि, इसकी सफलता निगरानी, जागरूकता, और प्रभावी कार्यान्वयन पर निर्भर करेगी। हम सभी को इस प्रयास में योगदान देना होगा – चाहे वह किसान हों, उपभोक्ता हों, या नीति निर्माता। AMR एक वैश्विक चुनौती है, और भारत का यह कदम हमें इस दिशा में एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जा सकता है।

आप इस मुद्दे के बारे में क्या सोचते हैं? क्या आपको लगता है कि यह प्रतिबंध प्रभावी होगा? अपने विचार हमारे साथ साझा करें!

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